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जग ने कैसा मुझको बना दिया / 'सज्जन' धर्मेन्द्र
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04:49, 26 फ़रवरी 2024
रब ने वैसा मुझको बना दिया।
गा
गाकर
-गा कर
सबने इसकी महिमा,
केवल पैसा मुझको बना दिया।
भूल हुई दुनिया से तो भुगते,
क्योंकर
क्यों कर
ऐसा मुझको बना दिया।
मान ख़ुदा लूँगा उसको जिसने,
मेरे जैसा मुझको बना दिया।
</poem>
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