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अब मौन चाहता हूँ मैं / पाब्लो नेरूदा / अनिल जनविजय
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00:19, 22 जुलाई 2024
तुम्हारी आँखों से झरता है वसन्त
दोस्तो, मैं तो, बस,इतना ही चाहता हूँ
कहने को कुछ भी तो नहीं है ये
लेकिन यही तो सब कुछ है असल में
अनिल जनविजय
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