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बर्थ पर लेट के हम सो गये आसानी से / 'अना' क़ासमी
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15:18, 30 दिसम्बर 2024
माँ ने स्कूल को जाती हुई बेटी से कहा
तेरी बिंदिया न गिरे देखना पेशानी
<ref>माथा</ref>
से
मुफ़्त में नेकियाँ मिलती थीं शजर
<ref>पेड़</ref>
था घर में अब हैं महरूम
<ref>वंचित</ref>
परिंदों की भी मेहमानी से
रात देखो न कभी दिन का कोई पास रखो
वीरेन्द्र खरे अकेला
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