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{{KKRachna
|रचनाकार=पाब्लो नेरूदा
|अनुवादक=प्रभाती नौटियाल
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<Poem>
'''( I )'''
बर्फ़बारी ्के इन्तज़ार में
बाग़ान को क्यों उजाड़ा गया ?
कैसे लगे पता कि
कलकत्ते के देवों में
भगवान कौन-सा है ?
क्यों जीते हैं रेशमी कीड़े
इतनी फटेहाल ज़िन्दगी ?
चेरी के दिल की मिठास
इतनी सख़्त क्यों होती है ?
क्या इसलिए
कि मरना है
या कि जीना जारी रखना है ?
'''(II)
जब सभी नदियाँ मीठी हैं
तो समुद्र कहाँ से लाता है नमक ?
ऋतुएँ कैसे जानती हैं
उन्हें अब बदलने हैं कपड़े ?
सर्दियों में इतनी सुस्त
और बाद में कैसे इतनी चुस्त ?
और जड़ों को कैसे होता पता
कि उन्हें रोशनी की ओर बढ़ना है ?
इतने सारे रंग-बिरंगे फूलों से
फिर हवा से दुआ-सलामी भी ?
क्या हमेशा एक जैसा होता है वसन्त
जो अपना किरदार निभाता है ?
'''मूल स्पानी भाषा से अनुवाद : प्रभाती नौटियाल'''
</poem>
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|रचनाकार=पाब्लो नेरूदा
|अनुवादक=प्रभाती नौटियाल
|संग्रह=
}}
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<Poem>
'''( I )'''
बर्फ़बारी ्के इन्तज़ार में
बाग़ान को क्यों उजाड़ा गया ?
कैसे लगे पता कि
कलकत्ते के देवों में
भगवान कौन-सा है ?
क्यों जीते हैं रेशमी कीड़े
इतनी फटेहाल ज़िन्दगी ?
चेरी के दिल की मिठास
इतनी सख़्त क्यों होती है ?
क्या इसलिए
कि मरना है
या कि जीना जारी रखना है ?
'''(II)
जब सभी नदियाँ मीठी हैं
तो समुद्र कहाँ से लाता है नमक ?
ऋतुएँ कैसे जानती हैं
उन्हें अब बदलने हैं कपड़े ?
सर्दियों में इतनी सुस्त
और बाद में कैसे इतनी चुस्त ?
और जड़ों को कैसे होता पता
कि उन्हें रोशनी की ओर बढ़ना है ?
इतने सारे रंग-बिरंगे फूलों से
फिर हवा से दुआ-सलामी भी ?
क्या हमेशा एक जैसा होता है वसन्त
जो अपना किरदार निभाता है ?
'''मूल स्पानी भाषा से अनुवाद : प्रभाती नौटियाल'''
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