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आपने जो मुझे ख़त लिखे देख लूँ / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
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14 अप्रैल
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<poem>
आपने जो मुझे
खत
ख़त
लिखे देख लूँ
बारहा रोज़ो-शब जो पढ़े देख लूँ
SATISH SHUKLA
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