{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=चन्द्र गुरुङ
|अनुवादक=
|संग्रह=
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
एक दिन
पंख निकाल कर उड़ जायेंगे दुःख
भर जायेंगे धाव के गहरे सागर
सूख जायेगी आँसुओं की लम्बी नदी
जीवन की अन्धेरी गुफाओं में
गायब हो जायेगी दुःख-दर्द की आदिम चिल्लाहट
सालों साल तक महकेंगे
केवल दिलों में प्रेम।
</poem>