Changes

नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=आलोक श्रीवास्तव-2 }} <poem> वसंत मैंने तुम्हारी आंखो...
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=आलोक श्रीवास्तव-2
}}
<poem>

वसंत मैंने तुम्हारी आंखों में देखा था
बरसों से नहीं देखीं
तुम्हारी आंखें
देखा है -
बस एक उदास मौसम
जो सहमा-सा आता है
और
आहिस्ता से गुजर जाता है !

क्या सच में
वह वसंत था?
कहां से आया था वह
तुम्हारी आंखों में ?
</poem>
916
edits