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19:45, 25 अप्रैल 2009 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=ऋषभ देव शर्मा
|संग्रह=तेवरी / ऋषभ देव शर्मा
}}
<Poem>
घुला लहू में ज़हर देहली
हत्याओं का शहर देहली
नशे-नहाई हुई जवानी
एक शराबी नहर देहली
दिल की कश्ती को ले डूबी
आवारा सी लहर देहली
खंजर से तन-मन घायल है
ठहर कसाई ठहर देहली
रोज पटाती है सूरज को
नंगी हर दोपहर देहली
रोज़-रोज़ हर गली क़यामत
सड़क-सड़क पर कहर देहली
</Poem>