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{{KKRachna
|रचनाकार= प्रमोद जोशी
}}
<poem>
अब हमको
चल देना चाहिए
पहाड़ पर
शहर से दूर
प्रकृति की गोद में
यही सब दोस्तों की
राय थी
लेकिन
क्या वह भी
नहीं बन जाएँगे-शहर
पूछा मैंने।
</poem>
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|रचनाकार= प्रमोद जोशी
}}
<poem>
अब हमको
चल देना चाहिए
पहाड़ पर
शहर से दूर
प्रकृति की गोद में
यही सब दोस्तों की
राय थी
लेकिन
क्या वह भी
नहीं बन जाएँगे-शहर
पूछा मैंने।
</poem>