भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
पहाड़ / प्रमोद जोशी
Kavita Kosh से
अब हमको
चल देना चाहिए
पहाड़ पर
शहर से दूर
प्रकृति की गोद में
यही सब दोस्तों की
राय थी
लेकिन
क्या वह भी
नहीं बन जाएँगे-शहर
पूछा मैंने।