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15:05, 13 नवम्बर 2009 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=सौदा
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<poem>
दिल से पूछा ये मैं कि इश्क़ की राह
किस तरफ़ मेहरबान पड़ती है?
कहा उनने कि नै ब-हिन्दोस्तान
नै सू-ए-इस्फ़हान पड़ती है
ये दोराहा जो कुफ़्र-ओ-दीं का है
दोनों के दरमियान पड़ती है
</poem>