भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
{{KKCatKavita}}
<poem>
::(१)
भीरु पूर्व से ही डरता है, कायर भय आने पर,
किन्तु, साहसी डरता भय का समय निकल जाने पर।
::(२)
संकट से बचने की जो है राह,
वह संकट के भीतर से जाती है।
</poem>