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लायी हयात<ref>ज़िन्दगी</ref>, आये, क़ज़ा <ref>मौत</ref> ले चली, चले
अपनी ख़ुशी न आये न अपनी ख़ुशी चले
बेहतर तो है यही कि न दुनिया से दिल लगे
पर क्या करें जो काम न बे-दिल-लगी दिल्लगी चले
कम होंगे इस बिसात<ref>जुए के खेल में</ref> पे हम जैसे बद-क़िमार<ref>कच्चे जुआरी</ref>
तुम भी चले चलो युँ ही जब तक चली चले
नाज़ाँ <ref>घमंडी</ref> न हो ख़िरद<ref>बुद्धि</ref> पे जो होना है वो ही होदानिश<ref>समझदारीसमझदार</ref> तेरी न कुछ मेरी दानिशवरी चले
जाते हवाएजा कि हवा-ए-शौक़<ref>प्रेम की हवा</ref> में हैं इस चमन से 'ज़ौक़'अपनी बला से बादे-सबा<ref>सुबह की शीतल वायु</ref> अब कभी कहीं चले
{{KKMeaning}}
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