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नैननि के आगे नित नाचत गुपाल रहैं / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
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10:51, 25 मार्च 2010
::तौ तौ सहै सीस सबै बैन जो तिहारे हैं ।
यह अभिमान तौ गवैहैं ना गये हूँ प्रान,
::
हम उनकी हैं वह प्रीतम हमारे हैं ॥59॥
</poem>
Himanshu
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