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हाल कहा बूझत बिहाल परी बाल सबै / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’
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03:56, 15 अप्रैल 2010
::बसि दिन द्वैक देखि दृगनि सिधाइयौ ।
रोग यह कठिन न ऊधौ कहिबै के जोग
::सूधो सौ संदेस याहि तू न
ठहरायौ
ठहराइयौ
॥
औसर मिलै और सर-राज कछू पूछहिं तौ
::कहियौ कछू न दसा देखी सो दिखाइयौ ।
डा० जगदीश व्योम
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