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ये बादल अँधेरे बढ़ाएँगे लेकिन / मधुभूषण शर्मा 'मधुर'
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15:54, 5 जून 2010
नशेमन हम अपना बनाएँगे लेकिन
चलो लाख ख़ुद को बचा कर
‘मधुर’ जी
‘मधुर’तुम
कहीं तो क़दम लड़खड़ाएँगे लेकिन
</poem>
द्विजेन्द्र द्विज
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