भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

एस० एम० एस० / वीरेन डंगवाल

1,604 bytes added, 11:08, 9 जुलाई 2010
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=वीरेन डंगवाल |संग्रह=स्याही ताल / वीरेन डंगवाल }} …
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=वीरेन डंगवाल
|संग्रह=स्याही ताल / वीरेन डंगवाल
}}
<poem>

सिर्फ लिख हुआ पुकारता है
लिक्‍खे की नोक ही छू सकती है
नक्षत्रों को
अब बित्‍ते भर के इस प्‍लास्टिक-बैट्री को ही देखो
गोया बना है गेंदे का गमकता फूल !
ये
लिखत का ही कमाल है

कैसा बखत आन पड़ा है
कि प्रेम और मैत्री का सुदूर संदेसा भी
आंखे भर देता है
बेईमान बकबक को महान बताने वाले
इस जमाने में
लिक्‍खा ही है
जो तुम्‍हारी सांसों में समा सकेगा

लिहाजा एक मूर्खतापूर्ण कार्रवाई के बतौर
मैं एक एस एम एस लिख भेजता हूं
पूरी दुनिया को
सभी भाषाओं में
‘भूख और अत्‍याचार का अन्‍त हो
घृणा का नाश हो
रहो सच्‍चे प्‍यार रहो
सबके हृदयों में
दुर्लभ मासूमियत बन कर’
00
778
edits