भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
Changes
Kavita Kosh से
नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लीलाधर मंडलोई |संग्रह=एक बहुत कोमल तान / लीलाधर …
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=एक बहुत कोमल तान / लीलाधर मंडलोई
}}
<poem>
सूख जाती है जिनके मन की नदी
उन्हें बचपन की नदी याद नहीं आती
वे भूल जाते हैं पानी के विस्मय को
पानी का अर्थ उनके वास्ते
उसका धुंधला सा बिम्ब
रह जाता है स्मृति में
जिनके रिश्ते टूट जाते हैं नदी से
उनके संबंध सूख जाते हैं अपनों से
वे ताउम्र तरसते रहते हैं
रिश्तों की नमी के लिए
वे अकेले पड़ जाते हैं
00
{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=एक बहुत कोमल तान / लीलाधर मंडलोई
}}
<poem>
सूख जाती है जिनके मन की नदी
उन्हें बचपन की नदी याद नहीं आती
वे भूल जाते हैं पानी के विस्मय को
पानी का अर्थ उनके वास्ते
उसका धुंधला सा बिम्ब
रह जाता है स्मृति में
जिनके रिश्ते टूट जाते हैं नदी से
उनके संबंध सूख जाते हैं अपनों से
वे ताउम्र तरसते रहते हैं
रिश्तों की नमी के लिए
वे अकेले पड़ जाते हैं
00