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तरूण से / त्रिलोचन

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वहॉं राष्‍ट्र का नया रुप
सन्‍मुख सम्मुख आया है
वैयक्तिक भी कार्य तुम्‍हारा
तुम्‍हारी साँसों से जीवित है
और तुम्‍हारी आँखें आँखों से देखा करता है
और तुम्‍हारे चलने पर चलता रहता है
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