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ऐसे तट हैं - क्यों इन्करें / हरीश भादानी
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|रचनाकार=हरीश भादानी
|संग्रह=आड़ी तानें-सीधी तानें / हरीश भादानी
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<poem>ऐसे तट हैं --
क्यों इन्कारें
किरणें खीज
अनिल जनविजय
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