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तुम अगर बेकरार हो जाते / शेरजंग गर्ग
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02:08, 18 सितम्बर 2010
हम बहुत शर्मसार हो जाते।
तुम जो आते तो चन्द
ही लम्हात, इश्क़
की यादगार हो जाते।
एक अपना तुम्हें बनाना था,
तुम जो मिलते इशारतन हमसे,
दोस्त
भी बेशुमार हो जाते।
आसरा तुम अगर हमें देते,
द्विजेन्द्र द्विज
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