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12:42, 24 सितम्बर 2010 {{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=पूनम तुषामड़
|संग्रह=माँ मुझे मत दो / पूनम तुषामड़
}}
{{KKCatKavita}}
<poem>
हे देव! मुझे नहीं चाहिए
तुम्हारे इस भव्य मंदिर में प्रवेश
नहीं चाहिए तुम्हारा दर्शन
और प्रसाद
क्योंकि -
तुम पत्थरों की
इस सुंदर इमारत में रखे
गढ़े हुए पत्थर हो
और मैं पत्थरों के बीच
पत्थर नहीं होना चाहती
</poem>