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{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=लिखे में दुक्ख / लीलाधर मंडलोई
}}
<poem>
जिनका सिरहाना
ताउम्र
पत्थर रहा हो
उन्हें तकिए पर नींद
नहीं आती
पत्थर की कोमलता
हर कोई नहीं जानता
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|रचनाकार=लीलाधर मंडलोई
|संग्रह=लिखे में दुक्ख / लीलाधर मंडलोई
}}
<poem>
जिनका सिरहाना
ताउम्र
पत्थर रहा हो
उन्हें तकिए पर नींद
नहीं आती
पत्थर की कोमलता
हर कोई नहीं जानता