भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

Changes

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रमत ! / कन्हैया लाल सेठिया

3 bytes removed, 06:54, 25 नवम्बर 2010
आं दो री सैन सागै
सै ढ़बे
अै जठे ढ़ाबै
करै आ री ही परकरमां
छऊँ रितुवां
Delete, Mover, Protect, Reupload, Uploader
8,152
edits