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सरोवर की काई / केशव शरण
Kavita Kosh से
सरोवर के पानी पर
काई की यह हरी चादर
धोखा दे रही है
हरी ज़मीन की
कहीं जान न ले ले यह
प्रेमावेग में दौड़े
किसी जवान
किसी हसीन की
नगर निगम वाले चेतें
प्रेमी कहाँ तक देखें