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साँवरे श्याम श्री कृष्ण प्यारे / रंजना वर्मा

साँवरे श्याम श्री कृष्ण प्यारे
राधिका के तुम्ही हो सहारे

श्याम तेरे बिना जी न पाऊँ
तू पिया नैन में आ समा रे

बीच धारा बही जा रही हूँ
दे लगा नाव मेरी किनारे

अश्रु हैं आँख ने यों बहाये
सिन्धु का नीर खारा हुआ रे

बाँसुरी ने किया बावरी है
तू इसे क्यों रहा है बजा रे

रात दिन चैन मिलता नहीं है
रोग कैसा अनोखा लगा रे

बेकली तो बढ़ी नित्य जाती
अब तो आ जा यशोदा दुलारे