Last modified on 12 फ़रवरी 2023, at 21:51

साथ मेरे अगर रहा होता / बाबा बैद्यनाथ झा

साथ मेरे अगर रहा होता।
प्रेम सर में तभी बहा होता।

दर्द बाँटा नहीं किसी से भी,
काश!उसने मुझे कहा होता।

एक पाषाण सा खड़ा दुख जो,
बुद्धि से ही कभी ढहा होता।

धैर्य की ही कमी रुलाती है,
कष्ट जो था उसे सहा होता।

चाटुकारी नहीं किसी की हो,
पाँव प्रभु के सदा गहा होता।