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हम सफर कबूल है मुझे / मृदुला झा

Kavita Kosh से
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हर खबर कबूल है मुझे।

जो गुनाहों से बचा सके,
वह डगर कबूल है मुझे।

तुम रहो सुकूँ से उम्र भर,
दर-ब-दर कबूल है मुझे।

तुम चलो जो साथ दूर तक,
तो सफर कबूल है मुझे।

झूठ से गुरेज भी नहीं,
सच मगर कबूल है मुझे।

जिसमें प्यार की हो रोशनी,
वो नज़र कबूल है मुझे।