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हो खुशी से भरी रहगुज़र जिंदगी / रंजना वर्मा

हो खुशी से भरी रहगुज़र ज़िन्दगी।
रूठ जाये न यों ही ठहर ज़िन्दगी॥

सोच यह कष्ट में भी हंसो तुम सदा
मौत है रात उगती सहर ज़िन्दगी॥

गम खुशी में बनाये रखें सन्तुलन
है मिली बस पहर दो पहर ज़िन्दगी॥

यत्न करते रहो यह सँवरती रहे
टूट जाये न बन कर कहर ज़िन्दगी॥

है नदी कब किसी की विरासत बनी
सिंधु-भव में उठी इक लहर ज़िन्दगी॥

श्याम की बाँसुरी पर बजी गीत बन
है बनी अब ग़ज़ल की बहर ज़िन्दगी॥

एक पत्ता खुशी एक पत्ता हँसी
बन गयी झूमता एक शज़र ज़िन्दगी॥