Last modified on 22 जनवरी 2020, at 17:01

"अगर रिश्ता ए दिल निभाना नहीं था / राकेश तैनगुरिया" के अवतरणों में अंतर

('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राकेश तैनगुरिया |अनुवादक= |संग्रह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
 
 
(इसी सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया)
पंक्ति 7: पंक्ति 7:
 
{{KKCatGhazal}}
 
{{KKCatGhazal}}
 
<poem>
 
<poem>
अगर रिश्तए दिल निभाना नहीं था
+
अगर रिश्ता ए दिल निभाना नहीं था
 
तुम्हें मुझको अपना बनाना नहीं था
 
तुम्हें मुझको अपना बनाना नहीं था
  

17:01, 22 जनवरी 2020 के समय का अवतरण

अगर रिश्ता ए दिल निभाना नहीं था
तुम्हें मुझको अपना बनाना नहीं था

बड़ी कद्र थी तब खुलूसो वफा की
अभी जैसा पहले ज़माना नहीं था

किसी रोज ऐसा तो होना था यारो
गागर में सागर समाना नहीं था

इतना दिया देने वाले ने मुझको
जितना मिरा पैमाना नहीं था

मेरी बात तुमको बुरी तो लगेगी
तुम्हें हुस्ने चन्दा चुराना नहीं था

मेरा नाम 'राकेश' यूँही नहीं है
उजालों का कब मैं ख़जाना नहीं था