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अच्छा लगता है / मरीना स्विताएवा

अच्छा लगता है चूमना हाथ,
अच्छा लगता है देना चीज़ों को नाम,
अच्छा लगता है खोलना
अंधेरी रात में पूरा किवाड़ ।

अच्छा लगता है सुनना
भारी क़दमो की धीमी आहट,
अच्छा लगता है हवा का सहलाना
सोए-उनींदे जंगल को ।

ओफ़्फ़ यह रात !
दूर कहीं झरने भाग रहे हैं
मुझे नींद आ रही है ।

दूर कहीं एक आदमी
डूब रहा है
रात के अंधकार में ।

रचनाकाल : 27 मई 1916

मूल रूसी भाषा से अनुवाद : वरयाम सिंह