Last modified on 18 अक्टूबर 2016, at 02:17

अड़ा हूँ आज इस दिल पै कि कुछ पा के हटूँ / बिन्दु जी

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:17, 18 अक्टूबर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बिन्दु जी |अनुवादक= |संग्रह=मोहन म...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अड़ा हूँ आज इस दिल पै कि कुछ पा के हटूँ।
या तो हार जाऊँ या ख़ुद आपको हरा के हटूँ।
मुराद मन कि जो पाऊँ तो यश बढ़के हटूँ।
नहीं तो आपकी घर-घर में हँसी करा के हटूँ।
तजुर्बा आपकी बाहों का कुछ उठाके हटूँ।
या करामत मैं आँहों कि कुछ दिखा के हटूँ।
या दीनबंधु से इकरार ही लिखाके हटूँ।
या अश्रु ‘बिन्दु” में यह नाम ही डुबोके हटूँ।