Last modified on 10 जुलाई 2014, at 11:30

अतुल अनन्त अचिन्त्य / हनुमानप्रसाद पोद्दार

अतुल अनन्त अचिन्त्य सद्‌‌गुणों के शुचितम शुभ आकर।
           असुर-दैत्य-तम-निशा-विनाशक रवि-कुल-कमल-दिवाकर॥
साधु-धर्म-संरक्षण-संबर्धन-हित नित्य धनुर्धर।
           अखिल विश्वगत प्राणिमात्र के सहज समर्थ सुहृदवर॥
मात-पिता-गुरुभक्ति अनुत्तम भ्रातृ-स्नेह-रत्नाकर।
            राम स्वयं भगवान अकारण-करुण भक्त-भव-भयहर॥