Last modified on 11 अप्रैल 2018, at 17:49

अपन साख अब कैसे बचतो? / सच्चिदानंद प्रेमी

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:49, 11 अप्रैल 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सच्चिदानंद प्रेमी |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

अपन साख अब कैसे बचतो?
गुरू सब दिन भर फिलिम देखतन-
चेला बेच के घोड़ा सूते।
चेलिन धरम सील मेटा के-
अपराधी के हर दिन न्योते।
इज्जत, मेधा, नेह-छोह, तन
जब सभ्भे पइसे पर विकतो।
अपन साख अब कइसे बचतो?