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अप्प दीपो भव / आनंद 1 / कुमार रवींद्र

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'बड़े भाई बुद्ध हुए
            धन्य हम'
सोच रहे बैठे आनन्द

'उनके सँग
जीवन है कितना आसान हुआ
साँसों की वीणा पर
सधा-हुआ गान हुआ

'अग्रज हैं महाकमल
            वीतराग
हम सब हैं उसके मकरन्द

'चक्रवर्ति राजा भी
उनके अनुयायी हैं
ऋषि-मुनि-अर्हन्त सभी
उनकी परछाईं हैं

'भाई हैं महागान
           सृष्टि का
हम सब हैं उसके पद-छ्न्द

'किन्तु यह अलौकिकता
होने को शेष अब
देह छोड़ जायेंगे
अग्रज यह जाने कब
 
'चले गये पहले ही
         सारिपुत्र
राहुल-मोग्गलायन औ' नन्द'
</poem