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अफसर सबकेँ पड़ल प्रयोजन / चन्द्रनाथ मिश्र ‘अमर’

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अफसर सबकेँ पड़ल प्रयोजन

पैघ-पैघ करखाना चाही,
नेता सब चरखाना चाही,
बाथरूम पैखाना संगहि
क्लब चाही, मयखाना चाही।

घर सरकारी क्वाटर चाही,
टोटी लागल ‘वाटर’ चाही,
‘फौरेन-डिग्री’ प्राप्त कराबय-
लय बेटामे काटर चाही।

घिया पुता लय ‘टीचर’ चाही,
बङला लय फर्नीचर चाही,
प्रोमोशन पयबा लय कोनो
अखवारोमे फीचर’ चाही।

पत्नीओ लय ‘ट्यूटर’ चाही,
गणित हेतु ‘कम्प्यूटर’ चाही,
सपत्नीक भरि नगर घुमय लय
नहि मोटर तँऽ स्कूटर चाही।

बैसलमे किछु भत्ता चाही,
पोथी छी, तेँ गत्ता चाही,
छक्का पंजा पत्ता चाही
जे कोनहुना सत्ता चाही।

धर्मक नाम निपत्ता चाही,
कोँढ़ कटै’ लय कत्ता चाही,
‘सोर्स’ एक अलबत्ता चाही।

नित्य बाइली आना चाही,
रोज सिनेमा जाना चाही,
भोज भातमे कचरम-कूटक
हेतु कतहु चाही आयोजन
अफसर सबकेँ यैह प्रयोजन।