अब तो जागे भाग हमारे,
हम पै टूठि गए भगवान।
टूठि गए भगवान
हम पै रीझि गए भगवान॥
कुंवरि-जनम सुनत रति बाढ़ी,
सजि सुठि साज, सँवारत दाढ़ी,
नाचत-गावत आयौ ढाढ़ी,
करतौ जै-जैकार॥-(अब तो०)
भाग्य हमारे कुंवरि जाई,
भई आज हमरी मनभाई।
बहुत दिनन की आस पुराई
जीवन की सब आस पुराई
कहत पुकार-पुकार॥-(अब तो०)
बेटा, बेटी, बहू, लुगाई,
रुके न घर, आए हरषाई।
देत असीसें करत बड़ाई,
जी भर बारंबार॥-(अब तो०)
जुग-जुग जीवौ कुंवरि प्यारी,
अचल सुहाग मिलै सुख-झारी।
हौ दोउन कुल की उजियारी,
कीरति बढ़ै अपार॥-(अब तो०)
स्वामी मिलै नंद कौ लाला,
रूप-गुननि में सब तें आला।
पहिरैं गुंजा-मोती माला,
सोभा कौ सिंगार॥-(अब तो०)
अग-जग सब ही कौं सुख देवै,
काऊ तें न कबहुँ कछु लेवै।
तन-मन सों भरतारहि सेवै,
जानि-सार-कौ-सार॥-(अब तो०)
बिनय भरी सुनि ढाढ़ी बानी,
कीर्ति कृपामयि हिय हुलसानी।
दिखरायौ लाली-मुख रानी,
काजर-रेख सँवार॥-(अब तो०)
देखि कुँवारि, सो अति हरषायौ,
बोल्यौ-मैं सब ही कछु पायौ॥
बोल्यौ-मैं जीवन-फल पायो।
अब तो केवल लाली कौ दरसन नित भायौ,
सो मिलै भीख सरकार॥-(अब तो०)
बाँधि मँढ़ैया रहूँ यहीं पर,
होऊँ नित निहाल दरसन कर।
लाली कौ मुख मधुर मनोहर,
मिलै मोय अधिकार॥-(अब तो०)