भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

अमुक भाई वालई खऽ राखड़ी भरात / निमाड़ी

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:00, 21 जनवरी 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |रचनाकार=अज्ञात }} {{KKLokGeetBhaashaSoochi |भाषा=निमाड़ी }...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

   ♦   रचनाकार: अज्ञात

अमुक भाई वालई खऽ राखड़ी भरात,
पिया हमखऽ दे राखड़ी घड़ई देव, असी गरमी से।
उंढालई सेज पिया मोहे न सुहाये,
जुदा जुदा पलंग तुलई देव, असी गरमी से।
चौमासा की सेज पिया मोहे न सुहाये,
पिया हमखऽ ते पियर पहुँचई देव, असी गरमी से।
स्याला की सेज पिया बहुत रसालई,
पिया हमखऽ ते हिया सी लगई लेव, इनी गरमी से।