भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

आइना भी कमाल करता है / राम नारायण मीणा "हलधर"

Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 11:15, 16 नवम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=राम नारायण मीणा "हलधर" |अनुवादक= |स...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

आइना भी कमाल करता है
जान लेवा सवाल करता है

रोज़ पकड़ा हमें रँगे हाथों
रोज़ हँसकर बहाल करता है

इश्क़ में हूँ कोई मरीज़ नहीं
क्यूँ मिरी देखभाल करता है

अब मकां बेचकर कहाँ जाएँ
हर पड़ौसी बवाल करता है

कौन जादू है उसके चहरे में
हाथ मेरे गुलाल करता है

यूँ दिवाना करे हंसी उनकी
जैसे ठुमरी -ख़याल करता है

इश्क़ पे ज़ुल्म, हुस्न का जैसे
हलधरों पे अकाल करता है