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आइना भी कमाल करता है / राम नारायण मीणा "हलधर"
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आइना भी कमाल करता है
जान लेवा सवाल करता है
रोज़ पकड़ा हमें रँगे हाथों
रोज़ हँसकर बहाल करता है
इश्क़ में हूँ कोई मरीज़ नहीं
क्यूँ मिरी देखभाल करता है
अब मकां बेचकर कहाँ जाएँ
हर पड़ौसी बवाल करता है
कौन जादू है उसके चहरे में
हाथ मेरे गुलाल करता है
यूँ दिवाना करे हंसी उनकी
जैसे ठुमरी -ख़याल करता है
इश्क़ पे ज़ुल्म, हुस्न का जैसे
हलधरों पे अकाल करता है