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आ ढोला इन्हाँ राहाँ ते (ढोला) / पंजाबी

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   ♦   रचनाकार: अज्ञात

आ ढोला इन्हाँ राहाँ ते

दीवा बाल रक्खाँ खनगाहाँ ते

तेरीयाँ मन्नताँ

जीवें ढोला !

मंजी बाण दी--

ढोले दीया 'रमजां' मैं सम्भे जाणदी--


भावार्थ

--'आओ ढोला, इन रास्तों पर

मैं खानकाह(पीर की समाधि) पर दीया जलाए रखती हूँ

तेरी मनौती मानती हूँ

जीते रहो ढोला !

बान की बुनी हुई खाट है

ढोला के मर्म की बातें मैं समझती हूँ !'