Last modified on 11 अप्रैल 2018, at 16:17

आ बसन्त गेल / कृष्णदेव प्रसाद

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:17, 11 अप्रैल 2018 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

आ बसन्त गेल
सतत सुखद गगन विमल परमकान्त भेल ॥1॥

मुदित विहंग विटप डार खेलत खूंदत बारबार
कूजइ मनहु करइ लार
मिलइ जुलइ प्रेमि पियार
भेल हेल मेल ॥2॥

कुहक सघन घोर
सिसिर हिम कठोर
पीर भेल भोर
करइ प्रकृति विषम दुसह विपति ठेलपेल।
खेल औ कुलेल ॥3॥