बुन्देली लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
इन वारे बनरे की लगुन हो आई।
लगुन हो आई बागन बिलमाई।
सो होती आवाजें आजुल दरवाजें,
रानी आजी के द्वारें।
इन वारे बनरे...
सो होती आवाजें बाबुल दरवाजे
रानी मैया के द्वारे।
इन वारे बनरे की लगुन हो आई।
लगुन हो आई बागन बिलमाई।
सो होती आवाजें आजुल दरवाजें,
रानी आजी के द्वारें।
इन वारे बनरे...
सो होती आवाजें बाबुल दरवाजे
रानी मैया के द्वारे।