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एक छोटे-से शहर में शिशिर की हवा
शहर जो अपनी उपस्थिति से चमकता है मानचित्र पर
(मानचित्र बनानेवाला शायद अधिक उत्‍साह उत्साह में थाया नगर के न्‍यायाधीश न्यायाधीश की बेटी के साथ सम्बन्ध बना चुका था) ।
अपनी विचित्रताओं से यह जगह
उतार फेंकती है जैसे महानता का बोझ और
सीमित हो जाती है मुख्‍य मुख्य सड़क तक ।
और काल रूखी नज़र से देखता है औपनिवेशिक दुकान की तरफ़
दुकान के भीतर भरा है सब कुछ
और एक गिरजाघर है जिसे भूल चुके होते लोग
यदि पास में न होता अनेक शाखाओं वाला डाकघर ।
और यदि यहाँ बच्‍चे बच्चे पैदा नहीं किए जा रहे होते
तो पादरी को नाम देने के लिए कोई न मिलता
सिवा मोटरगाड़ियों के ।
चाँद तैरता हुआ प्रवेश करता है वर्गाकार खिड़की में ।
कभी-कभी कहीं दूर से आती शानदार हेडलाइट
रोशन कर देती है अज्ञात सैनिक के स्‍मारक स्मारक को ।
यहाँ तुम्‍हारे सपनों में निकर पहने कोई औरत नहीं आती
बल्कि दिखाई देता है लिफ़ाफ़े पर लिखा अपना ही पता ।
यहाँ सुबह फटे हुए दूध को देखकर
दूध देने वाला जान लेता है तुम्‍हारी तु्म्हारी मौत के बारे में ।
यहाँ जिया जा सकता हे यदि भूल सको पंचांग
पी सको ब्रोमाइड और निकल न सको बाहर कहीं
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