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ऐ हुस्न-ए-बेपरवाह तुझे शबनम कहूँ शोला कहूँ / बशीर बद्र
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13:12, 17 अप्रैल 2008
सोया हुआ मंज़र कहूँ या जागता सपना कहूँ <br><br>
चंदा की तू है
चाँदनी
चांदनी
लहरों की तू है रागिनी<br>
जान-ए-तमन्ना मैं तुझे क्या क्या कहूँ क्या न कहूँ <br><br>
Pratishtha
KKSahayogi,
प्रशासक
,
प्रबंधक
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