Last modified on 16 फ़रवरी 2017, at 16:42

ओ हाथी प्यारे / प्रकाश मनु

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:42, 16 फ़रवरी 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रकाश मनु |अनुवादक= |संग्रह=बच्च...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सूँड़ हिलाता हाथी आया
बोला-जाऊँगा दिल्ली,
मुझे चिढ़ाकर भाग गई है
मोटी सी एक बिल्ली।
मैं बोला-ओ हाथी प्यारे
तू वन का है राजा,
छोड़ उसे तू, खा जंगल के
फल ये ताजा-ताजा।
बहुत बड़ी है दिल्ली, उसमें
बिल्ली छिप जाएगी,
खूब हँसेगी तुझ पर,
तेरे हाथ नहीं आएगी।