(राग ईमन-ताल कहरवा)
करता तुहें प्रणाम भक्ति से ऋञ्द्धि-सिद्धिदायक गणनाथ।
रहे तुहारी कृपा विघ्रहारिणि सुख-कारिणि मेरे साथ॥
रहे सदा मेरे मस्तकपर वरद तुहारा गणपति हाथ।
पागाएँ भक्ति राधिकाजीकी,गाएँ उनकी नित गुण-गाथ॥
(राग ईमन-ताल कहरवा)
करता तुहें प्रणाम भक्ति से ऋञ्द्धि-सिद्धिदायक गणनाथ।
रहे तुहारी कृपा विघ्रहारिणि सुख-कारिणि मेरे साथ॥
रहे सदा मेरे मस्तकपर वरद तुहारा गणपति हाथ।
पागाएँ भक्ति राधिकाजीकी,गाएँ उनकी नित गुण-गाथ॥