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कहा सुना / जगदीश गुप्त

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जो कुछ भी मैंने कहा वही क्या था मन में?
जो कुछ था मन में ठीक वही क्या कह पाया?
मैंने भरसक कोशिश की लेकिन सही-सही —
शब्दों में भावों का प्रवाह कब बह पाया?

     माना मेरी बातों से चोट लगी तुमको,
     पर क्या यह मैंने चाहा था, इनसाफ़ करो।
     फिर भी मेरे ही कारण तुमको दर्द हुआ,
     जो कुछ भी मैंने कहा सुना, सब माफ़ करो।