काहू को बस नाहिं तुम्हारी कृपा तें, सब होय बिहारी बिहारिनि।
और मिथ्या प्रपंच काहेको भाषियै, सो तो है हारनि॥१॥
जाहि तुमसों हित ताहि तुम हित करौ, सब सुख कारनि।
श्रीहरिदासके स्वामी स्यामा कुंजबिहारी, प्राननिके आधारनि॥२॥
काहू को बस नाहिं तुम्हारी कृपा तें, सब होय बिहारी बिहारिनि।
और मिथ्या प्रपंच काहेको भाषियै, सो तो है हारनि॥१॥
जाहि तुमसों हित ताहि तुम हित करौ, सब सुख कारनि।
श्रीहरिदासके स्वामी स्यामा कुंजबिहारी, प्राननिके आधारनि॥२॥