Last modified on 13 अक्टूबर 2016, at 04:26

कृपा करो हम पै श्यामसुंदर ऐ भक्तवत्सल कहने वाले / बिन्दु जी

Sharda suman (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:26, 13 अक्टूबर 2016 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=बिन्दु जी |अनुवादक= |संग्रह=मोहन म...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

कृपा करो हम पै श्यामसुंदर ऐ भक्तवत्सल कहने वाले।
तुम्हीं हो धनुशर चलाने वाले तुम्हीं हो मुरली बजाने वाले॥
तुम्हें पुकारा था द्रौपदी ने बचाया प्रहलाद को तुम्हीं ने॥
तुम्हीं हो खम्भे में आने वाले, तुम्हीं हो साड़ी बढाने वाले॥
तुम्हीं ने ब्रज से प्रलय हटाया, समुद्र में सेतु भी बनाया।
ऐ जल पे पत्थर तैरने वाले, ऐ नख पे गिरवर उठाने वाले॥
इधर सुदामा गरीब ब्राम्हण, उधर दुखी दीन था विभीषण।
उसे भी लंका दिलाने वाले, इसे त्रिलोकी लुटाने वाले॥
ऐ कोशिलासुत यशोदानंदन, अधीन दुःख ‘बिन्दु’ के निकंदन।
छुड़ा दो मेरे भी जग के बंधन, ऐ गज के फंदे छुड़ाने वाले॥