Last modified on 1 अप्रैल 2015, at 16:29

केसर भई राधिका रानी / ईसुरी

Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:29, 1 अप्रैल 2015 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKLokRachna |भाषा=बुन्देली |रचनाकार=ईसुरी |संग्रह= }} {{KKC...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

केसर भई राधिका रानी,
गलन गलन मिहकानी।
चम्पा, जुही केतकी बेला
ललत बेल लिपटानी
जिनसें भौत तड़ंगें उठतीं
ज्यों गुलाब कौ पानी।
ईसुर किसनचन्द मधुकर नें
लइ सुगन्द मनमानी।